Wednesday, July 28, 2010

Ijjat ka zanaja !!

अज से करीब दो महीने बाद नयी दिल्ली में commonwealth  खेल होने जा रहे हैं . दुनिए ,के तीसरे सांसे बारे खेलों की मेजबानी करना किसी भी देश के लिए फक्र की बात होनी चाहिए और खास के एक उभरते हुए देश के लिए क्यूंकि अपनी बढती साख को दुनिए के सामने रखने का इससे शरीफ तरीका कोई हो ही नहीं सकता. २००८ में चीन ने इसका एक सुन्दर नमूना पेश किया था जब उसने बीजिंग ओलंपिक्स को बारे हीं भव्य तरीके से दुनिए के सामने प्रस्तुत किया था, पूरी दुनिए हैरान थी और उसके परोसी यानि हम परेशान थे . क्या हम ऐसा नहीं कर सकते , उसी वर्ष हमें कोम्मोंवेअल्थ खेलों की मेजबानी मिल गयी, चीन से बराबरी करने का अवसर . आप मानें या न मानें दोनों देश के बीच आगे बढ़ने की होर तो लगी ही रहती है , भारत भी इन सबसे परे नहीं हैं . खैर मौका तो मिल गया और अब उसका परिणाम भी दिखने ही वाला है , क्या ?

ज्यादा तो कुछ नहीं पर नेहरु स्तादियम जो इन खेलों का मुख्य स्तःल है उसकी हालत यह है की अभी तक पूरा हो नहीं सका है . रही सही कसार मुसलाधार बारिश ने पूरी कर दी है , जो बना था उसे भी फिर से बनान पर रहा है . आप २ महीने में तो शाहजहाँ भी कोई ईमारत नहीं बना सकता था ऐसे में दिल्ली सरकार की क्या औकात है .यह वाकई चमत्कार होगा अगर ये खेल सफलतापूर्वक समाप्त हो गयें. वरना हमारी जो बेज्जती होने वाली है उसके बारे में सोच के बहुत अजीब सा लगता है . खुद दीली की सरकार को सोइचना चाहिए की अगर वो तयारी नहीं कर सकती थी तो उसने मेजबानी का दावा क्यूँ ठोका . डींगे मरने में हमारी सरकारें कभी पीछे नहीं रही हैं और कम करने में कभी आगे अनहि रही हैं . ऐसे में सरकार की बेज्जती होती है तो होने दो , उनकी आदत है बीजती सहने की .पर पूरा देश उनके किये धरे का असर क्यूँ झेले . हमने तो नहीं कहा था मेजबानी करने के लिए और न हीं यह कहा था की हरे इज्जत तक पे रख दो !  बाकि कुछ जानना हो तो times of India की यह खबर जरूर पढियेगा .
http://blogs.wsj.com/indiarealtime/2010/07/27/commonwealth-games-receives-media-bashing/

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