Sunday, October 3, 2010

Forget Gandhi - Move on !!!

Writing after a long time in response to around 7 blogs that I have read yesterday, all dedicated to the man in the picture below.........
गाँधी जयंती के अवसर पे काफी लेख पढने ओ मिले , सब ने गाँधी जी के चरित्र की बात की उनके योगदान की बात की और न जाने क्या क्या . हर लेख को पढने में अपना सर घुमाना परता है , यार इतनी अच्छी हिंदी में लिखते है की पढना मुश्किल हो जाता है फिर गाँधी कम और हिंदी ज्यादा याद आती है . किसी को उनसे शिकायत है की वो वो नहीं थे जो हम उन्हें बना बैठे है तो कोई यह समझता है की वो वही थे जो हम उन्हें बना चुके हैं - देखा मैंने भी अच्छी  हिंदी लिख दी . येही  बात पसंद है मुझे गाँधी जी के बारे में जब भी उनके बारे में लिकोगे तो इतनी अची हिंदी दिमाग से निकलती है की बस मत पूछो . खैर बात गाँधी (जी) की उठी है तो मैं भी कुछ बोलने पर मजबूर हो गया हूँ , पर मैं किसी के तरफ नहीं हूँ इसीलिए () में जी लिखा ताकि किसी को भी कस्ट न हो .

Endless life.......
मुझे गाँधी (जी ) से कोई लगाव नहीं है न ही नफरत है , पर उनकी कुछ बातें अची लगती है . अब इसका यह मतलब नहीं है की हर साल उनके जन्म के लिए हम छुट्टी मनाएं . कभी किसी ने मेरे जन्मदिन पे छुट्टी मनाई है - जो जिंदा है हम उनकी फिकर ही नहीं करते और जो ऊपर जा चुके हैं हम उनको बार बार निचे किचते रहते है . उन्होंने लारी की देश के लिए ६० साल पहले तो  क्या अभी लोग नहीं लरते है अपने देश के लिए - मैं भी लार्ता हूँ कभी कभी अपने परोसी से जिसको मैं पाकिस्तानी के नाम से जनता हूँ . उन्होंने सादगी सिखाई कम कपरे पहनो , सत्य बोलो , सादगी से रहो - वो तो अभी भी लोग सिखाते हैं पर हम न तो पहले मानते थे न अब मानते हैं . मेरे कहने का यह मतलब है की अभी भी आपको आस पास बहुत सरे गाँधी मिल जायेंगे बस आप देखना नहीं चाहते . मन में एक तस्वीर बैठा ली है की गोल सा चस्मा सफ़ेद धोती (तेज दिमाग - बदमाश जैसा कुछ लोग कहते है ) , और इस तस्वीर से बहार हम देकना नहीं चाहते इसीलिए उस एक गाँधी के पीछे अभी तक परे हुए है गाँधी से सूट भी पहना करते थे पर हम कभी उन्हें उस रूप में नहीं देखना चाहते .वही बात है अब गाँधी क्या थे कैसे थे यह अब कोई नहीं जनता पर हर कोई अपने मन के हिसाब से उनका चरित्र वर्णन करने लग जाता है .बक्श दो जीते जी तो इतना सुना ही उसने अब मरने के ६० साल बाद तक भी लोग उसी के बारे में बोलते रहेंगें तो उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी .  सही बात यह है की गाँधी जी एक सामान इंसान थे और यह उन्होंने हीं कहा था बस हम यह मानने को टायर नहीं है.
बेहतर  यह होगा की हम अपने आस पास के लोगों में गाँधी को ढूंढे  और उस महात्मा को शांति से सोने दे . सही है न जो बीत गयी सो बात गयी ................

1 comment:

  1. Very well said Himanshu. This is what we ought to do in present scenario. Talking about something that left us 60 yrs ago is neither fruitful nor rewarding. So, great point......
    कुछ स्पेलिंग की गलतियों को हटा दे तो भाई, क्या कहने आपके हिंदी के!!! :)

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